सब-के-सब सुखी हो जायँ, सब-के-सब निरोग हो जायँ, सबके जीवनमें मंगल-ही-मंगल हो, कभी किसीको दु:ख न हो- ऐसा भाव हमारेमें हो जायगा तो दुनियामात्र सुखी होगी कि नहीं, इसका पता नहीं, परन्तु हम सुखी हो जायँगे, इसमें सन्देह नहीं।
जो संसार से कुछ नहीं चाहता, प्रत्युत