सभी अपनी अपनी जिम्मेदारी से कार्य करते हैं। भाव जैसे हों वैसे बीज गिरते हैं, बाहर की क्रिया से नहीं। हम इस संसार से कैसे छूटे और मोक्ष में जाएं यही हमें देखना है।
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