शरणागत साधकको यदि कोई भय रहता है तो वह इसी बातका रहता है कि कहीं उसके चित्तसे प्रियतम परमात्माकी विस्मृति न हो जाय | वास्तवमें वह कभी परमात्माको भूल भी नहीं सकता; क्योंकि परमात्माके चिंतनका वियोग उससे क्षणमात्रके लिए भी सहा नहीं जाता mere NATH.. BHULU NAI